उनके नाम का एक ख़त कमीज़ की जेब में
रख कर चले थे.!.
जो क़रीब से गुज़रा पूछता है,
ये कौन सा इत्र है जनाब..!!..
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मुद्दत से जागी आँखों को
एक बार सुलाने आ जाओ.!.
माना कि तुम्हें प्यार नहीं,
नफरत ही जताने आ जाओ..!!..
रख कर चले थे.!.
जो क़रीब से गुज़रा पूछता है,
ये कौन सा इत्र है जनाब..!!..
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मुद्दत से जागी आँखों को
एक बार सुलाने आ जाओ.!.
माना कि तुम्हें प्यार नहीं,
नफरत ही जताने आ जाओ..!!..