Tuesday, December 2, 2014

apna bihar

बिहार आज नमक रोटी से ज्यादा कुछ है नहीं - बिहार भले देश को अपना समझता हो - पर ये देश क्या बिहार को अपना समझता है - पुरे देश में अगर कोई राज्य ऐसा होगा जहाँ लोग नमक रोटी सबसे ज्यादा खाते हो तो वो शायद अपना बिहार ही होगा - पंजाब - हरयाणा में तो सब दूध रोटी वाले है - महाराष्ट्र में सब रोटी वडा पाँव - तमिलनाडु में साम्भर - तब भी सभी नेता बिहार को ही लुटने में लगे है - भिखमंगा को लुटने से आपको क्या मिलेगा - वैसे ही नमक रोटी वाले को लुट कर क्या मिलेगा - लेकिन हद ये है की बिहार का कोई भी नेता आज बिहार को बनाने की बात नहीं करता - कोई नहीं कहता की हम बिहार को पंजाब के जैसा या महाराष्ट्र या उससे भी अच्छा बना देंगे - सब नेता बस मुख्यमंत्री बनना चाहता है - ऐसा क्यों - पहला - गरीबी के नाम पर दिल्ली से खूब रुपया मागो और उसको फर्जी बिल बनाकर लुट जाओ - दूसरा - दिल्ली से रुपया न मिले तो - नदी नाले पहाढ जंगल बालू ठेकेदारी दलाली - इन तरीको से पूरा लुट लो - मतलब ये की मंत्री कोई बने - सब के सब नेता बिहार को बनाने में नहीं लुटने के दौड़ में है - बिहार दोराहे पर खड़ा है - अभी का दौर हर नेता के लिए रुपया जमा करने का है - ताकि रुपये के बल पर ताल ठोककर चुनाव लड़ा जाय - लेकिन
दोराहे पर खड़े बिहार का मुश्किल ये है की जीत भाजपा पक्ष का हो या लालू पक्ष - दोनों पक्ष में कोई भी बिहार को बनाने की बात कभी नहीं करता - यही यक्ष प्रश्न है बिहार के सामने - दोनों तरफ लुटने वाले ही है - आज जरुरत है बुद्ध की - आज जरुरत है चाणक्य की - आज जरुरत है गाँधी की - आज जरुरत है जय प्रकाश की - आज जरुरत है शहीद भगत सिंह की - आज जरुरत है चंद्रशेखर आजाद की - कोई ये तो बोले की मैं सर पर कफ़न बांधकर ये कसम खाता हु की बिहार के स्वर्ण काल की वापसी के लिए मैं अपना जान की बाजी लगा दूंगा - माई के लाल लाखो है बिहार पर कुर्बान होने वाले - ज्ञान भी है सबको - ताकत भी है - क़ुरबानी भी सब दे रहे है - लेकिन अभी क़ुरबानी दे रहे है - इस बात की - कि हम बड़े बड़े नेता के सबसे बड़े चमचे है - सबसे बड़े चमचा बनने के लिए क़ुरबानी दी जा रही है - धन्य है बिहार के लाल - कोई तो बिहार के दर्द को समझे - बिहार का आज का समाज सरफरोशी नहीं जिस्मफरोशी के राह पर है - आज समाज का युधिस्ठिर ही चीरहरण के लिए द्रौपदी को दाव पर लगा रहा है - इस उम्मीद के साथ अपना लिखना बंद कर रहा हूँ की जरा पढने के बाद
सोचना की कही हम और आप दोनों ही अपनी माँ - अपनी मातृभाषा - अपनी मातृभूमि के साथ कोई पाप तो नहीं कर रहे ......अगर गलत लिखा है तो एक अपना ही समझ कर माफ़ करना ......

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