भाइयो जब एक डॉलर 68 रुपये का था और कच्चे तेल की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 115 डॉलर प्रति बैरल थी तब तो 1 बैरल कच्चे तेल के लिए 68×115=7820 रुपये खर्च हुए और अब 1 डॉलर की कीमत है 62 रुपये व् कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत है 76 डॉलर पर बैरल। यानि अब 1 बैरल खरीदने के लिए 76×62=4712 रुपये खर्च किये जा रहे हैं। तब पेट्रोल रेट 75 रुपये प्रति लीटर था अब 64 रुपये। तब की लागत 7820 रुपये प्रति बैरल और अब की लागत 4720 रुपये प्रति बैरल के हिसाब से पेट्रोल का रेट तय क्यों नही करवा रही मोदी सरकार? पेट्रोल डीजल के रेट सरकार के नियंत्रण से मुक्त हैं तो फिर जितने % कच्चे तेल की कीमतें गिरीं हैं। उसी हिसाब से कीमत कम क्यों नही हुई? उस समय खरीद की cost और अब की cost के हिसाब से तो पेट्रोल की कीमत लगभग 45 रुपये प्रति लीटर होनी चाहिए। भाइयो और भक्तजनो कृपया इस पोस्ट को इतना शेयर करो की सो रही मोदी सरकार का ध्यान इस तरफ जाए और आम जनता को कच्चे तेल की कीमत के हिसाब से सही दामो पर पेट्रोल डीजल खरीदनो को मिले।आम आदमी की खून पसीने की कमाई कंपनियो की जेबो में जाने से बच जाए।जागो मोदी सरकार जागो आम आदमी की जेब मत काटो। जनहित में जारी।-धर्मेन्द्र मलिक
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