Tuesday, December 2, 2014

garibi

फटी चादर के सुराखों से
झांकते हुए।।।
देखे हैं मैंने कुछ बच्चे
सर्दी से कांपते हुए।।।

एक बुढा रात भर
लड़ता रहा,
बूढी हड्डियों के
साथ रात से
अकड़ता रहा।।

आओ दर्द बाँट लें
कुछ पुराने गर्म कपड़ों
के साथ
बहुत दूर नहीं वहीं
फूटपाथ पर घर के
पास।।

कोई अनजान सा
सर्दी से परेशान
सा मिल जाएगा
तुमको ।।।।

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